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धान की फसल में होने वाले प्रमुख मौसमी रोगों की मार से कैसे बचाए। जानें कृषि विशेष जानकारी

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मौसम की मार के चलते धान की फसल में रोग फेल रहे हैं हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार साल 2023 के दौरान प्रदेश के कई क्षेत्रों में धान की फसल को मौसम के चलते कई प्रकार के रोगों से ग्रग्रसित हो रही है इन इलाकों में बारिश कमजोर होने से आद्रता और तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। गर्मी के चलते फसल पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है ऐसे में धान की फसल में होने वाले प्रमुख मौसमी रोगों की मार से बचाने की आवश्यकता है।

धान की फसल में होने वाले मुख्य रोग एवम् कारण

मौसम में लगातार बदलाव के चलते कई स्थानों पर बारिश की कमी के चलते धान की फसल में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं तो चलिए जानते हैं आज के इस आर्टिकल में धान की फसल में होने वाले कुछ रोगों के प्रकार

1:- धान की फसल में टेड़ापन और पत्तियों में सुखना या फ़िर झोकापान फसल को खराब कर सकता है।

2:- फसल की पत्तियां सुखना जीवाणु झुलसा से फसल की गुणवत्ता के उपर असर पड़ता है।

3:- पत्तियों पर लंबी धारियां होना यानी की धारीदार जीवाणु जलसा जो कि पौधे के विकास की गति पर असर डालता है एवम् ग्रोथ कमज़ोर कर देता है।

धान की फसल को मौसम और रोग से बचाने के उपाय

व्यवस्थित सिंचाई का इस्तेमाल: अपनी खड़ी धान की फसल को जल संचयन की व्यवस्था करके समय-समय पर पानी प्रदान करते रहे क्योंकि धान की फसल के लिए पानी अति आवश्यक होता है, जो कई रोगों से दूर रखेगा।

खड़ी धान में होने वाले रोगों की पहचान करके समय समय पर जल संचयन से नियंत्रण का उपाय करें।

धान की फसल के पौधे का लगातार विकास और प्रतिरक्षा बढ़े इस हेतू आवश्यक मात्रा में खाद व उर्वरक डाले।

सबसे महत्वपूर्ण फसल के लिए अनुकूल सिंचाई है। जोकि कई प्रकार के रोगों से दूर रखती है। बुवाई करने के बाद समय-समय पर अनूकुल सिंचाई अति आवश्यक है।
फसल की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए जैविक उपाय प्रयोग में लाएं इसके लिए पीछे से के फसल सुरक्षा उपाय अपनाएं।

कृषि विशेषज्ञ एवम् तकनीकी सहायता से करे उपचार

कृषि विशेषज्ञ व कृषि तकनीकी सहायक प्रबंधक के अनुसार जिन इलाकों में तापमान में वृद्धि व बारिश कम हो रही है वहां रोग ज्यादा बढ़ने के आसार हैं ऐसे में धान की फसल को बचाने हेतू निम्नलिखित उपाय किए जा सकते है

अपनी फसल को अच्छी सिंचाई व्यवस्था से सुरक्षित रख सकते हैं। बारिश के बाद वह बुवाई के बाद भी सिंचाई अति आवश्यक है जिससे फसल की प्रतिरक्षा होती है।

फसल को उपयुक्त मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता के अनुसार देख कर भी सुरक्षित रखा जा सकता है जिससे पौधे के विकास और प्रतिरक्षा बढ़ेगी।

उपयुक्त जैविक उपायों का प्रयोग करके भी फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है । रोगों को नियंत्रित फसल विशेषज्ञ सुरक्षा उपायों से भी किया जा सकता है।

धान की फसल में होने वाले रोगों के लक्षणों की पहचान करके किसानों को जागरूक करें। व समय पर इसके नियंत्रण के उपाय का अच्छे से पालन करके सुरक्षित की जा सकती है।

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